जानिए वेदों के अनुसार ब्रम्हांड की शुरुआत कैसे हुई और ब्रम्हा का जीवन काल कितना है...

जानिए वेदों के अनुसार ब्रम्हांड की शुरुआत कैसे हुई और ब्रम्हा का जीवन काल कितना है...

हम अपनी धर्म ग्रंथों में बताई गई बातों को सिर्फ एक काल्पनिक थ्योरी मानते हैं। लेकिन पश्चिमी वैज्ञानिकों की अभी तक साबित नहीं हुई थ्योरी को हम सब सच मान लेते हैं। लेकिन आज हम आपको अपने इस पोस्ट में बताने वाले हैं वेदों में बताए गए ब्रह्मांड की उत्पत्ति की, जो शायद विज्ञान आज जाकर समझ पा रही है।
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दरअसल वेदों में सृष्टि रचना “वेदों के अनुसार ब्रम्हांड की शुरुआत” की थ्योरी बताई गई है जो अब विज्ञान भी मान रही है। दोस्तों वेदों के अनुसार हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति श्री हरि विष्णु के नाभि से हुई है।
वेदो के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु जो कि समय और कालचक्र के दायरे से बाहर हैं, उनकी नाभि से एक कमल निकला जिससे ब्रह्माजी बने।
अगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ब्रह्मा हीं हमारे ब्रह्मांड हैं। और महाविष्णु वह बाहरी स्रोत जिसका ना आदि है न अंत। जिसकी ना ही शुरुआत है और ना अंत है। जबकि ब्रह्मा का एक जीवन चक्र है और उनका अंत भी होगा।
हमारे वेदों में बताया गया है कि ब्रह्मा का जीवन काल 100 काल का होता है। जिसके बाद उनकी मृत्यु हो जाती है, और एक नए ब्राह्म का जन्म होता है। ब्रह्मा के जन्म को हम सब बिग-बैंग मान सकते हैं, और उनकी मृत्यु को बिग क्रंच जो की अंत में होगा। विष्णु नाभि वह सिंगुलैरिटी है जिससे ब्रह्मांड बना और अंत में उसी में मिल जाएगा।

ब्रम्हा का जीवन काल

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अब बात करते हैं ब्रह्मा के जीवन के बारे में जो कि सौ साल का है।पुराणों के अनुसार ब्रह्मा का 1 साल 360 दिन का होता है। हर दिन में आधा भाग दिन और आधा भाग रात का होता है। ब्रह्मा के हर दिन को एक कल्प कहा जाता है। 2 कल्प, 1 दिन एक रात मिलकर बनता है। अभी हम-सब ब्रह्मा के 11 साल के पहले दिन में जी रहे हैं। ब्रह्मा के हर कल्प में 14 मनु अवतार होते हैं, और इस समय हम सातवें मनु अवतार में हैं। एक मनु अवतार में 71 महायुग होते हैं। और एक महायुग में चार युग… सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग होता है।
इस तरह से देखें तो ब्रह्मा का एक दिन हमारे 4.32 बिलियन साल के बराबर होता है। अर्थात 432,00,00,000 साल के बराबर होते हैं।
इसी गणना के पास आज के हमारे वैज्ञानिक भी पहुंच पाए हैं। ब्रह्मा के सौ साल बीतने के बाद हमारा ब्रम्हांड भी खत्म हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने आज मल्टीवर्स होने की बात कबूली है। जबकि यह बात हमारे वेदों में बहुत ही पहले बताई और लिखी जा चुकी है।
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हमारे वेदो और पुराणों में बताया गया है कि विष्णु नाभि अर्थात सिंगुलैरिटी से सिर्फ एक ही ब्रह्मा नहीं बल्कि कई ब्रम्हा उत्पन्न हुए हैं। यह ब्रह्मा हमारे ब्रह्मांड के जनक हैं। जबकि यहां पर कई और भी ब्रह्मा हैं, जो की हमारे भौतिक आयाम से हैं। जबकि हमारे वेदों में कई आयामों का वर्णन किया गया है। आप भी अपने प्रश्न हमें अपने कमेंट में जरूर बताएं।
क्योंकि आज की विज्ञान चाहे जितनी भी तरक्की कर ले लेकिन आज भी वह हमारे प्राचीन विज्ञान के एक अंश तक भी नहीं पहुंच पाई है। 

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